Saturday 27 August 2011

समलैंगिकता – विकृति या सामाजिक अपराध ?


साथी लोग खुल कर अपनी टिप्णी दें ,

जागरण जंक्शन परिवार मे छपी ख़बर  पर   
 (  समलैंगिकता – विकृति या सामाजिक अपराध ?
पोस्टेड ओन: 25 Jul, 2011 Junction Forum में     )

............................................................................................................

साथी लोग खुल कर अपनी टिप्णी दें , 
लिखने वालों को पता भी चले की ख़बर लिखे भी तो किस तरह ..! वेब पेज पर जा कर जो टिप्पणी
लिखते  है  उनको भी पढ़े , उनका भी जवाब दें , जरूर दें , दोस्तों 


...........................................................................................................................................

समलैंगिकता के ऊपर गत कुछ समय से निरंतर बहस जारी है. इसके पक्ष और विपक्ष में अनेकानेक मत सामने आ रहे हैं. हाल के कुछ वर्षों में समलैंगिकता को लेकर एक आश्चर्यजनक उत्साही प्रवृत्ति देखने को मिल रही है, जिसके समर्थन में कई गैर-सरकारी संगठनों सहित तमाम समुदाय व कुछ उदार कहे जाने वाले व्यक्ति खड़े हो रहे हैं. समलैंगिकों के हितों में आवाज बुलंद करने वाली नाज फाउंडेशन नामक संस्था तो बाकायदा समलैंगिकों के अधिकारों और समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है और उसे आंशिक रूप से सफलता भी मिल चुकी है.

नाज फाउंडेशन की याचिका पर वर्ष 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय का फ़ैसला आया कि यदि दो वयस्क आपसी सहमति से समलैंगिक रिश्ता बनाते हैं तो वह सेक्शन 377 आईपीसी के अर्न्तगत अपराध नहीं होगा. बाद में उच्चतम न्यायालय ने भी धारा 377 के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. परन्तु गौर करने वाला पहलू यह है कि न तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने और न ही उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक विवाहों या विवाहेत्तर समलैंगिक संबंधों को विधिमान्यता दी है और इस मामले पर अभी उच्चतम न्यायालय में विचार चल रहा है.

परन्तु समलैंगिकता के समर्थकों ने जिस तरह का उन्माद, जश्न और उत्सव पूरे देश में मनाया, गे-प्राइड परेडें निकालीं,  वह कई बातों पर सोचने के लिए विवश करता है. समलैंगिकता के विरोधियों की चिंता यह है कि समलैंगिकता को जिस तरह रूमानी अंदाज में पेश किया जा रहा है, उससे कहीं जिसे विकार के रूप में लिया जाना चाहिए, उसे समाज सहज रूप में न ले बैठे, अन्यथा भविष्य में समाज में कई बीमारियां और कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. उल्लेखनीय है किसी विषय को मुद्दा बनाने से लोगों में उसको जानने-समझने का कौतूहल एवं उत्सुकता बढ़ती है, जो कि उस बात का प्रचार करती है.

समलैंगिकता के विरोधी मानते हैं कि “समलैंगिक व्यभिचार मूल रूप से उन व्यक्तियों से संबंधित होता है जिन्होंने मनोरंजन और विलास की सारी हदें पार कर ली हों. ऐसे लोगों को किसी भी कीमत पर कुछ नया करने को चाहिए होता है. यही कारण है कि विदेशी संस्कृति में समलैंगिक व्यवहार आम चलन में मौजूद है. समलैंगिकता पश्चिमी रीति-रिवाजों में इस तरह समाहित है कि वहॉ पर इसे सहज रूप से स्वीकार किया जाने लगा है. पश्चिमी देशों के तमाम राष्ट्राध्यक्ष, नौकरशाह, अभिनेता, अभिनेत्रियों सहित व्यापार जगत की बड़ी हस्तियां समलैंगिकता नामक उन्मुक्त पाशविक व्यभिचार में लिप्त पाई जाती हैं. किंतु भारत के संदर्भ में ऐसी स्थिति की कल्पना करना भी भयावह और खतरनाक है.”

उपरोक्त को देखते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने या इसे केवल मानसिक विकृति और बीमारी के रूप में परिभाषित कर सुधारात्मक या दंडात्मक कार्यवाही के औचित्य पर विचार विमर्श को दिशा दी जा सके, इस संबंध में कुछ बेहद संवेदनशील और अनिवार्य प्रश्न निम्नलिखित हैं:

1. आप की नजर में समलैंगिकता एक अपराध है या मानसिक विकृति व बीमारी?
2. क्या समलैंगिकता के उन्मूलन के लिए कठोर दंड की व्यवस्था की जानी चाहिए?
3. क्या समलैंगिकता को बीमारी व मानसिक विकृति मानकर उपचारात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए?
4. क्या समलैंगिकता को सामाजिक मान्यता मिलनी चाहिए?
5. समलैंगिकता को समाज पर थोपकरस्वीकार्य कराकर समलैंगिकता के पैरोकार कौन-सी सामाजिक जागरूकता लाना चाहते हैं?

जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से राष्ट्रहित और व्यापक जनहित के इसी मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है. इस बार का मुद्दा है:

समलैंगिकता – विकृति या सामाजिक अपराध ?

आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जारी कर सकते हैं.

नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें. उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “समलैंगिकता के लिए दंड” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व समलैंगिकता के लिए दंड – Jagran Junction Forum लिख कर जारी करें.
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गयी है. आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं.

.........................................................................................................

धन्यवाद 
  साभार  :-   जागरण जंक्शन परिवार



No comments:

Post a Comment