Friday, 8 March 2013

किन देशों में महिलाओं की कैसी है स्थिति





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ज यानी 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है।  आइए जानते हैं‌ कि किन देशों में महिलाओं की कैसी और क्या स्थिति है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध
भारत: बलात्कार के 24,206, छेड़छाड़ के 42,968 व यौन उत्पीड़न के 8,570 मामले एवं अन्य सभी को मिलाकर कुल 2,19,062 मामले दर्ज किए गए। (2011 में)

अन्य देश: ब्रिटेन में लैंगिक हिंसा के 45,326, अमेरिका में बलात्कार के 90,750, रूस में 15,770 लैंगिक हिंसा के मामले दर्ज किए गए। (2010 में)

कंपनियों के कार्यकारी अधिकारी के पद पर
भारत: विभिन्न कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पदों पर 11 फीसदी महिलाएं कार्यरत हैं।
अन्य देश: अमेरिका और ब्रिटेन में तीन प्रतिशत है। (फॉर्च्यून 500 और एफटीएसई 100 की कंपनियों की सूची 2010)

महिला डायरेक्टर
भारत: भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल में 30 फीसदी महिला निदेशक है।
अन्य देश: नार्वे में सबसे अधिक 37 फीसदी जबकि सऊदी अरब में इसकी संख्या 0.23 फीसदी है। अमेरिका में यह संख्या 16.34 प्रतिशत है। (माईहायरिंगक्लब डॉटकॉम द्वारा किए गए सर्वे की 2012 में जारी रिपोर्ट)

संसद में महिलाएं
भारत: निचले और ऊपरी सदन में महिलाओं का कुल प्रतिनिधित्व 10.3 फीसदी।
अन्य देश: सेनेगल में सबसे अधिक 45 प्रतिशत जबकि भूटान में 13.9 फीसदी, और नेपाल में 33.2 फीसदी।
शिक्षा।

शिक्षा में महिलाएं
भारत: देश में 65.46 फीसदी महिलाएं साक्षर है। राज्यों में 93 फीसदी के साथ केरल सबसे अव्वल जबकि बिहार 63 फीसदी के साथ नीचले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में 59.3 फीसदी औरतें साक्षर है।
अन्य देश: लक्जमबर्ग, नार्वे में 100 फीसदी, यूएसए में 99 फीसदी जबकि सामालिया में 25 व अफगानिस्तान में 12.6 फीसदी महिलाएं साक्षर है।

कामकाजी महिलाएं
भारत: 60 लाख महिलाएं (2011 में) कामकाजी है जिसकी औसत आय (प्रति माह) 9,000 रुपये है। वहीं टॉप पांच फीसदी की प्रतिमाह औसत आय 32,000 रुपये है।

रात को घर से बाहर निकलने में सुरक्षा
भारत: 69 फीसदी महिलाएं आने-आप को सुरक्षित मानती है।
अन्य देश: सिंगापुर में 88, इंडोनेशिया में 84, अमेरिका में 62 जबकि ऑस्ट्रोलिया में 51 फीसदी महिलाएं रात को निकलने में सुरक्षित महसूस करती है। (2012 में गैलप द्वारा 143 देशों के 1.80 लाख से अधिक युवाओं पर किए गए अध्ययन के मुताबिक)

घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं
भारत: 1.2 करोड़ कन्या भ्रूणों की हत्या हुई पिछले तीन दशक में। (द लांसेट 2011 की रिपोर्ट), 8,618 दहेत हत्या के मामले दर्ज किए गए। (राष्ट्रीय अपराध सांख्यकी ब्यूरो 2011)
अन्य देश: रूस में 14,000 महिलओं की मौत हुई। (2010)

मातृत्व
भारत: दुनिया भर में मातृत्व की स्थिति से संबंधित सूचकांक में भारत का स्थान 76वां है। 140 महिलाओं में से एक महिला की मौत प्रसव के दौरान हो जाती है। मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख बच्चो के जन्म पर 212 है।

अन्य देश: नार्वे शीर्ष स्थान पर जबकि नाइजर सबसे नीचे है। चीन में 1500 महिलाओं और श्रीलंका में 1100 महिलाओं में से एक महिला की मौत प्रसव के दौरान होती है। (80 कम विकसित देशों में किए गए सर्वे/सेव द चाइल्ड की 2012 की सालाना रिपोर्ट)

परिवार नियोजन से अनजान
भारत: 10-20 फीसदी भारतीय महिलाएं परिवार नियोजन से अनजान हैं।
अन्य देश: पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में 20-30 प्रतिशत जबकि यूगांडा में 41 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के उपायों से वाकिफ नहीं है।

देश में महिलाओं की स्थिति
--देश में 58.65 करोड़ महिलाएं हैं।
--महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 प्रतिशत है
--पंचायतों में लगभग 38.87 फीसदी यानी 28.18 लाख चुनी महिलाएं हैं
--विभिन्न कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पदों पर 11 फीसदी महिलाएं कार्यरत
--मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर 212 है।
--भारत के निचले सदन लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10.8 फीसदी और राज्यसभा में 10.3 फीसदी है।
--बंबई शेयर बाजार में 100 सूचीबद्घ कंपनियों में से 1,112 निदेशकों के पदों में सिर्फ 59 (5.3 फीसदी) पर ही महिलाएं हैं।
--देश में कुल 60 लाख कामकाजी महिलाए हैं जबकि बड़े शहरों में कामकाजी महिलाओं की संख्या 36 लाख है।
--2 करोड़ 70 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी कमाई महिला पर टिकी है। कुल परिवारों में ऐसे परिवारों की तादाद 11 फीसदी।
--49 लाख ऐसी महिलाएं हैं जो सिंगल मेंबर फैमिली हैं।
--2001 के मुकाबले महिला प्रधान परिवारों की संख्या लगभग 6 फीसदी बढ़ी है।
--70 प्रतिशत महिलाओं के पास अपना बैंक खाता है।
--देश में डीजीपी, स्पेशल डीजी, एडीजीपी, आईजीपी व डीआईजी स्तर के कुल 76 महिला अधिकारी है। वहीं अधिकारी से हेड कांस्टेबल तक में महिलाओं की संख्या 71,756 है।

भारत में महिलाओं को अधिकार
प्लांटेशन लेकर एक्ट: 1951 के प्लांटेशन लेबर एक्ट के तहत किसी भी महिला कर्मचारी की तबियत खराब होने या मातृत्व की स्थिति में मालिक को छुट्टी देने होगी। इस एक्ट के तहत महिलाओं को काम करने के लिए बेहतर माहौल और मेहनताना देने की जिम्मेदारी नियोक्ता को ही है।

स्पेशल मैरिज एक्ट: 1954 में लागू किए गए स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किसी भी धर्म की व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी कर सकता है। (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर)

मातृत्व लाभ कानून: 1961 में लागू किए गए इस कानून के तहत मां बनने की स्थिति में एक निश्चित समयावधि तक महिला को छुट्टी मिलनी चाहिए साथ ही इस दौरान उसकी नौकरी जारी रहेगी और उसे वेतन भी प्राप्त होगा।

दहेज विरोधी कानून: दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के अंतर्गत दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध है। इसे 20 मई 1961 को लागू किया गया था।

गर्भपात कानून: 1971 के गर्भपात कानून के तहत किसी भी वजह से महिला का गर्भ किराना कानूनन जुर्म माना गया है। लेकिन इस कानून में कुछ कमियां होने के बाद अप्रैल 1972 में इसमें कुछ बदलाव कर इसे दोबारा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1972 के नाम से लागू किया गया।

धरेलू हिंसा: घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण विधेयक, 2005 (2005 के 43) की धारा एक की उपधारा (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रीय सरकार ने 26 अक्तूबर 2006 को लागू किया गया।

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